Mirza Wali Dargah Ridmalsar

बीकानेर से 10 किलोमीटर दूर रिडमलसर सिपाहियान में मिर्ज़ा मुराद बेग का आस्ताना (दरगाह) है जिनके सालाना उर्श तक़रीबन 20 साल से मनाये जा रहे है. बहुत अरसे पहले आप गाँव की मस्जिद में रहते थे. जब आपके पर्दा फरमाने का वक़्त करीब आया तो आपने गाँव वालों को ज़मा किया और कहा आप लोग दुनिया की कामयाबी चाहते हो तो मुझे मस्जिद में दफनाना और आखिरत की कामयाबी चाहते हो तो मुझे कब्रिस्तान में दफनाना . उस वक़्तके बुजर्गो ने निहायत ही दूरदर्शिता का परिचय दिया जो उन्हें कब्रिस्तान में दफनाया क्योंकि दुनिया चार दिन की है, जैसे तैसे गुजर जाएगी, आखिरत की जिंदगी कभी ख़त्म होनेवाली नहीं है. उस ज़माने में लोग बहुत ही ताक़तवर और तंदरुस्त होते थे.और गाँव रिडमलसर के आसपास के गाँव में चर्चा हुआ करती थी कि शादी के मोके पे हलवा, चावल बनाये जाते थे. जिसके बारे में कहावते मशहूर है कि रात को लोग कड़ाई में सो जाया करते थे.और खाना तैयार होकर ज्योही खिलाया जाता था तो घंटे भर में कडाव साफ कर दिया जाता था .एस बात अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक़्त के लोगो कि खुराक कैसी होती थी. काबिले गौर है कि हज़रत मिर्ज़ा मुराद बेग ने एक हांड़ी में सवा सेर चावल पकाए थे . और पुरे गाँव को खाना खिलाया .जब हांड़ी का पूरा ढक्कन खोला गया तो उसमे जितने चावल पकाए गए थे वो चावल बाकि बचे हुए मिले थे.लोगो ने यह मंज़र देखा तो उनकी अक्ल दंग रह गयी और दूर दूर तक चर्चे होने लगे. उस वक़्त के लोगो का अकीदा निहायत ही मजबूत और पक्का होता था.बरसात होने में देरी होने के कारण गाँव वालों का दस्तूर था की मिर्ज़ा मुराद बेग के आस्ताने पर लोग जमा होते और सीरनी करते .दूर दूर तक बादली नहीं होने के बावजूद भी शाम तक घटायें आती बरसात बरस कर चली जाती.यह हर साल त्योंहार की तरह मनाया जाने लगा.आज भी अकीदतमंद लोग फैज़ पाते है और अपनी झोलियाँ (दामन) मुरादों से भरते है.सबसे बड़ी बात यह है की वली के दरबार में किसी तरह की मजहबी पाबन्दी नहीं होती.किसी भी मजहब का मानने वाला हो दरबार में हाज़िर होकर जायज़ मुरादों के लिए झोली फैलाये और दामन ए मुराद से मालामाल हो जाता था.शर्त यह है की अकीदा रखता हो.अकीदतमंद लोग एन करामातों पर इतफाक रखते है.वली अल्लाह के दोस्त होते है. वली के माईने मालिक के होते है.अल्लाह ने बेशुमार ताक़तों से वलियों को नवाज़ा है..वे खुद अल्लाह और उसके रसूल के इश्को मुहब्बत की भट्टी में अपने आपको जलाकर राख कर देतें है.तब इनके अंदर अल्लाह की तरफ से वो ताकत औ कुव्वत पैदा हो जाती है अल्लाह के वली मौत से पहले फ़ानी हो जाते है.मगर दीन की दुनिया में ये लोग बादशाही करते है.इससे बढ़कर बादशाही क्या होगी की जो कुछ एन हज़रात की जुबान से निकलता है.परवरदिगार आलम उनकी दुआए पूरी फरमाता है.आज भी मिर्ज़ा वली के आस्ताना ए मुबारक से अकीदतमंद लोग फैज़ उठाते है.यानि औलिया का कहा हुआ अल्लाह का फरमान होता है.अगर चे यह अल्लाह के बन्दे की हलक से निकला हुआ कलाम हो. वली की करामात

Haidari Masjid Ridmalsar

The wonderful Mosque in Ridmalsar Bikaner India. It has been reconstructed just now as it was collapsed a year ago just few minutes after the Friday Prayer completed as it was Will of ALLAH that nobody was injured.  While a lot of people stayed in the Mosque during the Friday Prayer.

रिडमलसर गाँव की यह हैदरी मस्जिद जो कुछ साल पहले ठीक उस लम्हे के बाद ढह गयी जब जुम्मे की नमाज़ पूरी होने के बाद सब नमाज़ी मस्जिद से बाहर जा चुके थे. अल्लाह का फज़ल था कि किसी को कोई चोट नहीं आई. खुदा का शुक्र है.

Rustamshah Peer Ridmalsar Bikaner India

Gebna peer ridmalsar Bikaner
           Gebna peer ridmalsar Bikaner

 

Sawant khan Urf Zhittu dada Ridmalsar

Sardar Sakhi Sawant Khan Panwar Urf Zheetu Khan Panwar

पढो फातिहा यह सावंत सखी का मज़ार है
अदब से आना यह शहॆदे ए मिल्लत का दरबार है
Shaheed a Millatat-Sher a shehra-Sawant Sakhi-Sardar
sawant khan  Panwar Urf Zheeta Dada Panwar was Born in
Panwar Family at Ridmalsar Bikaner India in 1770 A.D.
he used to live in Jorbeed (Forest) at Sawantpur Ridmalsar
 Bikaner near railway line.he spent all his life there and
 died in 1847. his graveyard (Mazar) is built there.
all the panwar families celebrate his Ursh every year to prove
that he was their great saint
शहीद ए मिल्लत ,शेर ए सहरा, सावंत सखी ,सरदार सावंत खान पंवार उर्फ़ झिटूं दादा का जन्म पंवार खानदान में बीकानेर जिले के रिडमलसर गाँव में 1770 में हुआ. आप रिडमलसर के पास सावंतपुर में जोरबीड में रेलवे  लाइन के पास रहते थे. वहां उन्होंने पूरा जीवन एक ज़ाल  के पेड़ पर गुजारा. आपका इंतकाल 1847 में अपने अज़ीज़ो के हाथों से ही हुआ.उनका मजार यहाँ पर बना हुआ है. पंवार खानदान के लोग हर साल उनका उर्श मनाने के लिए उनके मजार पर  अपनी हाज़री देते है.

famous personalities of Ridmalsar

 

Famous Personalities of Ridmalsar Bikaner India who left their foot prints on the earth

रिडमलसर के चर्चित चेहरे जो ज़मी पे अपने निसान छोड़ गए

तेजू खां पंवार, मोहम्मद हुसैन कोहरी, रहीम बक्स जोइया , कम्मू खां पंवार , नबी बक्स जोइया , मेहरदीन तंवर, हीरे खां पंवार,जलालदीन समेजा, युनस अली कल्लर, इमाम दीन पंवार, इस्माइल खां समेजा, नेक मोहम्मद परिहार, निजाम खां पंवार,हाजी हसन खां समेजा,जलाल खां कल्लर, अमरदीन पंवार,सराज खां समेजा,दीन मोहम्मद जोइया, हसन खां पंवार,जहूर खां समेजा, मोहम्मद हुसैन परिहार ,जलाल दीन पंवार,गुलाम कादर जुनेजा,इलाही बक्स जोइया, अब्दुल सत्तार पंवार,अब्दुल मजीद जुनेजा,सरवर दीन जोइया, इकबाल हुसैन पंवार, अब्दुल अज़ीज़ समेजा,महबूब जोइया, मंज़ूर अली पंवार,मोहम्मद खां कल्लर,फिरोज खां कोहरी, गुलाम खां पंवार, हुसैन खा कल्लर,हसन खां भाटी, बुलाकी खां पंवार,इशाक खां पंवार,बशीर खां कोहरी , शमशेर अली पंवार, इशाक खां मांगलिया, अफज़ल खां मांगलिया, नबू खां मांगलिया, फकर दीन तंवर, रमजान खां मांगलिया ,मुमताज अली पंवार, कालू खां मांगलिया,लाल मोहम्मद समेजा , मोहम्मद इस्माइल पंवार,सराज खां परिहार,इब्राहीम खां समेजा, अब्दुल रजाक पंवार,निसार अहमद जोइया, फैज़ मोहम्मद समेजा, गुलाम फरीद पंवार, नबू खां कल्लर, सिकंदर खां समेजा, बन्ने खां मांगलिया ,अत्ता मोहम्मद पंवार, अब्दुल अज़ीज़ जोइया, ज़हूर अहमद जोइया,अहसान उल हक,लियाकत अली समेजा,जनाब महमूद खान मांगलिया .गुलाब खान तंवर,मुनीर अली कोहरी,अज़ीज़ खान मांगलिया, मजीद खान मांगलिया,मौज दीन भाटी,अब्दुल हमीद मांगलिया (सागर), मंगतू खान समेजा , नेक मोहम्मद तंवर,फैज़ मोहम्मद मांगलिया,यूनस खान पंवार 23-09-17,रुस्तमदीन पंवार , जुल्फी माँगलिया,मेहबूब हुसैन कोहरी,बाबू खान कोहरी,मुख्त्यार अली पंवार  

अल्लाह सब मरहुमो को जन्नत बक्से.

Teju Khan Panwar,Jalaldeen Sameja,Mohd.Hussain Kohri,Kammu Khan panwar,Ismail Khan Sameja,Yunas Ali kallar,Heere Khan Panwar,Hassan Khan sameja,Nek Mohd.Parihar,Imaam Deen Panwar,Saraz Khan sameja,Jalal Khan Kallar,Nizam Khan Panwar,Jahoor Khan Sameja,Deen Mohd.Joiya,Amardeen Panwar,Gulam kadar Juneja,Mohd.Hussain Parihar,Hassan Khan panwar,Abdul Majid Juneja,Ilahi Bux Joiya,Jalal Deen Panwar,Abdul Aziz Sameja,Sarwar Deen Joiya,Abdul Sattar Panwar,Lal Mohd. Sameja,Mehboob Joiya,Iqbal Hussain Panwar,Ibrahim khan sameja,Feroz Khan kohri,Manzoor Ali Panwar,Faiz Mohd.Sameja,Hassan Khan Bhati,Mumtaj Ali Panwar,Sikander khan Sameja,Bashir khan kohri,Mohd.Ismail Panwar,Mohd.Khan Kallar,Afzal Khan Manglia,Abdul Razak Panwar,Hussain Khan Kallar,Ramjan khan manglia,Gulam Khan Panwar,Ishak Khan Panwar,Banne khan manglia,Bulaki Khan Panwar,Ishak Khan Manglia,Raheem Bus Joiya,Shamsher Ali Panwar,Fakar Deen Tanwar,Mehardeen Tanwar,Nabbu Khan Manglia,Kalu Khan manglia,Nabu Khan Kallar,Gulam Farid Panwar,Saraj Khan Parihar,Nisar Ahmed Joiya,Nabi bux Joiya, Atta mohd. Panwar.,Abdul aziz joiya,Jahoor Ahmed joiya,Ahsan ul haque,Liyakat Ali Sameja,janab mehmood Khan Manglia.Gulab Khan Tanwar,Muneer Ali Kohri,Aziz Khan Manglia,Majid Khan Manglia,Mauzdeen Bhati,Abdul Hameed Manglia (Saagar ),Mangtu Khan Sameja,Nek Mohammad Tanwar,Faiz Mohammad Manglia,Yunas Khan Panwar ,Rustamdeen Panwar (08.02.2018), Julfi Manglia, Mehboob Hussain Kohri,Babu Khan Kohri,Mukhtyar Ali Panwar.

 

ردملسر بکنر انڈیا کے نمچیں چہرے جو جمین پی اپنے نسان کھود گئے

 

تجو خان پنور, جلالدین سمجہ, محمّد حسسیں کوہری, کممو خان پنور, اسماعیل خان سمجہ, یونس الی کللر, ہیرے خان پنور, ظہور احمد پنور, حسسان خان سمجہ, نیک محمّد پرہر, امام دین پنور, سراج خان سمجہ, جلال خان کللر, نظام خان پنور

 

Ameen

अल्लाह सब मरहुमो को  जन्नत बक्से.